मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बिहार में सुशासन बाबू के रूप में जाना जाता है, वे अपनी साफ-सुथरी छवि के लिए जाने जाते हैं। नीतीश कुमार ज्यादातर सफेद कुर्ता-पायजामा पहनते हैं और अपनी छवि या अपने कुर्ते पर एक भी दाग उन्हें पसंद नहीं, चाहे कुछ भी हो, इसपर दाग लगाने वालों को वो कतई बख्शते नहीं।
लालू प्रसाद के घर पर सीबीआइ छापे के बाद राजद पर नैतिक दबाव बढ़ाते हुए बुधवार को भी जदयू ने कहा कि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर पार्टी समझौता नहीं करेगी। यह नीतीश कुमार की छवि का सवाल है, जिसके दम पर महागठबंधन ने भाजपा के विजय रथ को बिहार में रोक दिया था।
पार्टी अब उस छवि पर किसी तरह का दाग बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है। इसीलिए वह उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने या उनका इस्तीफा मांगने की जगह राजद पर नैतिक दबाव बढ़ा रही। उसे उम्मीद है कि तेजस्वी को राजद की ओर से खुद पहल हो।
नीतीश के कार्यकाल के 12 वर्षों में यह पहला अवसर होगा जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भ्रष्टाचार में आरोपित मंत्री के साथ कैबिनेट की बैठक में भााग लेना पड़ा।
बुधवार की बिहार कैबिनेट की बैठक में सबकी नजर बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर टिकी हुई थी कि सीबीआई के एफआईआर में नाम आने के बाद जिस तरीके से जनता दल यू ने कहा कि वो तथ्यों के आधार पर जनता के सामने प्रामाणिक सबूत पेश करें, इस तरह के अल्टीमेटम के बाद तेजस्वी अपने भाई तेजप्रताप के साथ कैबिनेट की बैठक में भाग लेने आए और मीडिया को जवाब दिया कि जनता के बीच जाउंगा, मैंने कोई गलती नहीं की।
भ्रष्टाचार से कोई समझौता नहीं करते नीतीश
नीतीश कुमार बार-बार दुहराते रहे हैं कि भ्रष्टाचार से कोई समझौता नहीं और इसे उन्होंने कई बार मंत्रियों और विधायकों से इस्तीफा लेकर इसका सुबूत भी पेश किया है और तेजस्वी के मामले में भी उन्होंने स्पष्ट कहा था कि वो भ्रष्टाचार से समझौता नहीं कर सकते।
नीतीश कुमार का पिछले 12 वर्षों का रिकॉर्ड है कि जब किसी मंत्री का नाम किसी केस या चार्जशीट में आया, उसे अपने मंत्रिमंडल से हटाने में जरा भी देरी नहीं लगाई, लेकिन तेजस्वी यादव को सोच समझ कर फैसला लेने के लिए वक्त दिया गया है। चूंकि यह एफआईआर सीबीआई ने किया है, इसलिए इस पर ज्यादा सवाल भी नहीं उठाया जा सकता क्योंकि सीबीआई जांच के बाद ही एफआईआर दर्ज करती है।
कैबिनेट की बैठक में पहुंचे तेजप्रताप-तेजस्वी
आरोप-प्रत्यारोप के बीच तेजस्वी यादव अपने भाई तेजप्रताप के साथ बुधवार की कैबिनेट बैठक में शामिल हुए हालांकि वो कैबिनेट शुरू होने के चंद मिनट पहले पहुंचे। कैबिनेट की बैठक के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तय समय से 25 मिनट पहले सचिवालय पहुंच गए थे, उस समय जदयू के कोटे के मंत्रियों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो चुका था।
वहीं बैठक में आरजेडी कोटे के मंत्री कैबिनेट की बैठक शुरू होने से चंद मिनट पहले आए और वहीं कल की बैठक में कांग्रेस की तरफ से केवल पशुपालनमंत्री अवधेश सिंह ही दिखाई दिए। कैबिनेट बैठक में जाने से पहले तेजस्वी के सुरक्षागार्डों से मीडिया की हाथा-पाई भी हुई लेकिन इसे देखकर भी तेजस्वी ने कुछ नहीं कहा।
आधे घंटे के भीतर खत्म हो गई थी कैबिनेट की बैठक
बुधवार को इस तनातनी के बीच कैबिनेट की बैठक महज आधे घंटे में खत्म हो गई। आमतौर पर कैबिनेट की बैठक 1 घंटे और कभी-कभी 2 घंटे से ज्यादा भी चलती है, लेकिन कल यही बैठक 25-30 मिनट में ही खत्म हो गई। कैबिनेट का माहौल भी कुछ बदला-बदला सा था।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बगल में ही उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की कुर्सी आज भी लगी थी, उनके बगल में तेजप्रताप यादव थे। कैबिनेट के दोनों युवा मंत्री काफी चुपचाप रहे, वहीं आमतौर पर कैबिनेट की बैठक में चर्चा होती है, लेकिन कल की बैठक में ऐसा कुछ नहीं हुआ और कुछ जरूरी प्रस्ताव पर मुहर लगी और बैठक खत्म हो गई। बैठक के बाद नीतीश बाहर निकले और हाथ जोड़ते, मुस्कुराते हुए अपनी गाड़ी में जा बैठे।
Credit:-www.jagran.com
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